प्रसाद का तुलनात्मक अध्ययन - भाग एक
एमए के दौरान तैयार किये गये नोट्स का एक अंश। प्रसाद चूंकि मेरे प्रिय रचनाकारों में शामिल रहे इसलिए उन्हें पढ़ना और उनके बारे में जानकारियां जुटाना हमेशा समय का सदुपयोग ही मालूम हुआ।
Jaishankar Prasad. image source : Google |
आंसू, झरना एवं कामायनी जैसी प्रसिद्ध एवं कालजयी काव्य कृतियों के रचयिता और हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के छायावाद के स्तंभ कवि जयशंकर प्रसाद अपनी श्रेष्ठ काव्य कला के लिए अविस्मरणीय हैं। उनकी काव्य यात्रा के सोपानों से गुज़रते हुए पश्चिमी काव्य साहित्य के साथ कुछ साम्य एवं वैषम्य दिखता है। इस अवलोकन का एक संक्षेप यहां प्रस्तुत हैं। अगली कड़ियों में प्रसाद के पूर्ववर्ती भारतीय कवियों के साथ तुलनात्मक अध्ययन को प्रस्तुत करने की चेष्टा रहेगी।
- जयशंकर प्रसाद और जर्मनी के महान साहित्यकार गेटे में वास्तव में काफी समानता है। दोनों के ग्रंथों के अनुशीलन से यह तथ्य तार्किक प्रतीत होता है। कामायनी से पहले इन दोनों महान कलाकारों की शुरुआती रचनाओं पर बात करें तो ऐसा लगता है जैसे प्रसाद के आंसू और गेटे के ग्रंथ The Sorrows Of Werther में भी गहरा संबंध है। गेटे और प्रसाद के विचित्र जीवन में जो करुण अनुभूतियां हुईं, तो आघात लगे और वेदनाएं तथा निराशाएं इकट्ठी हुईं। वही इन दोनों ने उपरोक्त कृतियों के माध्यम से अभिव्यक्त कीं।
- बेशक अंतर है लेकिन तत्वों और अनुभूति के स्तर पर दोनों के सुर मेल खाते हैं। जैसे गेटे के फॉस्ट (Forst) और प्रसाद की कामायनी को लेकर तालमेल दिखता है।
- हां तो, बात करते हैं कामायनी और फॉस्ट पर। अस्ल में, प्रसाद और गेटे की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने मानव जीवन के तकरीबन हर पहलू को छुआ और यह हुआ प्रमुख रूप से कामायनी और फॉस्ट में। चित्रों में जैसे स्थूलता दिखायी दे और रेखाएं व बिंदु सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होते जाएं। एक अद्भुत विचार और विश्व दृष्टि जैसे अभिभूत कर दें।
- गेटे ने फॉस्ट में रहस्य को बखूबी अभिव्यक्त किया है। खासकर वह दृश्य जिसमें नायिका मारग्रेट से फॉस्ट कहता है कि उसे ईश्वर की सत्ता हर कण, हर क्षण में दिखती है। उसके अनुभव को नकारा नहीं जा सकता।
- कविता केवल विचारों, विचारधाराओं या दर्शन की जटिल अर्थ प्रतीतियों का ही नाम नहीं है। वह सौंदर्य को भी साधती है और मत को भी। वह भावना को भी पोसती है और अभिमत को भी। अब यदि सौंदर्य की बात करें तो फिर प्रसाद को गेटे के साथ खड़ा करना ठीक नहीं है क्योंकि गेटे के रचनाधर्म में सौंदर्य प्रमुख नहीं है। जबकि, Romancism के पोषक रहे प्रसाद इससे अधिक मोहित रहे हैं। इस दृष्टि से अंग्रेज़ी साहित्य के एक महान लेखक व कवि थॉमस हार्डी से प्रसाद का तालमेल समझा जा सकता है। प्रसाद जब प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हैं तो वैचित्र्य उत्पन्न होता है।
"अंतरिक्ष विशाल में है मिल रही
चंद्रमा पीयूष वर्षा कर रहा
दृष्टि पथ में सृष्टि है आलोकमय
विश्व वैभव से धरा यह धन्य है"
- थॉमस हार्डी का प्रकृति चित्रण एक सूक्ष्म और अनुभवजन्य जगत से परिचय कराता है जैसे - "The sky was clear - remarkably clear - and the twinkling of all the stars seemed to be but throbs of one body, timed by a common pulse." यानी हार्डी का प्रकृति के प्रति आकर्षण बौद्धिकता से भी सराबोर है जबकि प्रसाद की प्रकृति के प्रति दृष्टि सम्मान व्यक्त करती हुई और चेतना का खुलासा करने वाली है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें