प्रॉस्पिस यानी आगे की सोचना
अंग्रेज़ी साहित्य में विक्टोरियन कवियों की सूची में रॉबर्ट ब्राउनिंग का नाम सम्मान के साथ दर्ज है। ब्राउनिंग की कविताएं चिंतन और दर्शन के अनेक पहलुओं और प्रश्नों को टटोलती हैं और साथ ही, काव्य के सौंदर्य को भी रेखांकित करती हैं। अलंकार और वक्रोक्ति इन कविताओं में प्रमुखता से पाये जाते हैं। यानी समझा जा सकता है कि इनका पाठ कितना कठिन है और अनुवाद और कितना..!
प्रॉस्पिस, ब्राउनिंग की बेहद चर्चित कविताओं में से एक है जो संभवतः उन्होंने अपनी पत्नी एलिज़ाबेथ की मृत्योपरांत लिखी थी। आलोचक मानते हैं कि इस कविता में नायक कोई और नहीं बल्कि कवि स्वयं ही है जो अपनी पत्नी की आत्मा में विलीन होने की कामना में मृत्यु से युद्ध करने की कल्पना कर रहा है। इस कविता का प्रारंभ एक विषाद के साथ होता है, परंतु यह कविता धीर, वीर नायक का चरित्र प्रस्तुत करती है। मृत्यु से जुड़े दर्शन के कुछ मूलभूत प्रश्नों को उठाती यह कविता कल्पनाशीलता के माध्यम से सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो जाती है।
वास्तव में, विक्टोरियन कवियों ने अनेक सिरों से मृत्यु पर कविताएं रचीं। मैथ्यू ऑर्नल्ड, अल्फ्रेड लॉर्ड टेनिसन, अल्फ्रेड ऑस्टिन और डब्ल्यू बी रैंड्स अन्य प्रमुख विक्टोरियन कवि हैं। ब्राउनिंग के यहां सरलता कम है और रूपक एवं प्रतीकों की भरमार है जिसके कारण वह अपने समकालीन विक्टोरियन कवियों से अलग चीन्हे जाते हैं। प्रॉस्पिस कविता को पढ़कर कहीं निराला की राम की शक्तिपूजा का स्मरण भी हो जाता है तो कहीं प्रसाद रचित कामायनी की कुछ पंक्तियां स्मृतियों में तैरने लगती हैं। यह दर्शन की बारीक समझ होने के कारण संभवतः होता है।
यहां ब्राउनिंग की कविता प्रॉस्पिस का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है जो श्री तपेश सक्सेना ने किया है। तपेश ने इस कविता के अनुवाद के उद्यम में मूल कविता की राइमिंग स्कीम यानी तुकबंदी, लयता एवं छन्द का ध्यान रखा है। तपेश के अनुवाद की भाषा में हिन्दी और कतिपय उर्दू का इस्तेमाल होने के कारण यह एक आमफहम भाषा कही जा सकती है। इस अनुवाद में क्लासिक अनुवाद परंपरा की छुअन है और यह आजकल बहुतायत में किये जा रहे अतुकांत व शब्द दर शब्द अनुवादों से अलग भी है। इस अनुवाद की और भी खूबियां हैं जो पाठक इससे गुज़रते हुए महसूस कर सकते हैं। यहां ब्राउनिंग की मूल अंग्रेज़ी कविता और तपेश द्वारा किया गया अनुवाद प्रस्तुत है।
Robert Browning. image source : Google (modified) |
वास्तव में, विक्टोरियन कवियों ने अनेक सिरों से मृत्यु पर कविताएं रचीं। मैथ्यू ऑर्नल्ड, अल्फ्रेड लॉर्ड टेनिसन, अल्फ्रेड ऑस्टिन और डब्ल्यू बी रैंड्स अन्य प्रमुख विक्टोरियन कवि हैं। ब्राउनिंग के यहां सरलता कम है और रूपक एवं प्रतीकों की भरमार है जिसके कारण वह अपने समकालीन विक्टोरियन कवियों से अलग चीन्हे जाते हैं। प्रॉस्पिस कविता को पढ़कर कहीं निराला की राम की शक्तिपूजा का स्मरण भी हो जाता है तो कहीं प्रसाद रचित कामायनी की कुछ पंक्तियां स्मृतियों में तैरने लगती हैं। यह दर्शन की बारीक समझ होने के कारण संभवतः होता है।
यहां ब्राउनिंग की कविता प्रॉस्पिस का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है जो श्री तपेश सक्सेना ने किया है। तपेश ने इस कविता के अनुवाद के उद्यम में मूल कविता की राइमिंग स्कीम यानी तुकबंदी, लयता एवं छन्द का ध्यान रखा है। तपेश के अनुवाद की भाषा में हिन्दी और कतिपय उर्दू का इस्तेमाल होने के कारण यह एक आमफहम भाषा कही जा सकती है। इस अनुवाद में क्लासिक अनुवाद परंपरा की छुअन है और यह आजकल बहुतायत में किये जा रहे अतुकांत व शब्द दर शब्द अनुवादों से अलग भी है। इस अनुवाद की और भी खूबियां हैं जो पाठक इससे गुज़रते हुए महसूस कर सकते हैं। यहां ब्राउनिंग की मूल अंग्रेज़ी कविता और तपेश द्वारा किया गया अनुवाद प्रस्तुत है।
PROSPICE
Fear death?—to feel the fog
in my throat,
The mist in my face,
When the snows begin, and
the blasts denote
I am nearing the place,
मौत का भय? कंठ कुहरे का करे एहसास थमकर
और चेहरे पर पड़ी है धुंध भी तो
अब बरफ भी गिर रही है आंधियों के साथ जमकर
यूं लगे गंतव्य है नज़दीक ही तो
The power of the night, the
press of the storm,
The post of the foe;
Where he stands, the Arch
Fear in a visible form,
Yet the strong man must go:
रात ताकत आज़माकर ज़ोर तूफानी लगाकर
शत्रु का आभास मुझको दे सकी है
भय ख़ा है साथ मेरे राजसी सूरत बनाकर
पर गति यह आदमी की कब रुकी है
For the journey is done and
the summit attained,
And the barriers fall,
Though a battle's to fight
ere the guerdon be gained,
The reward of it all.
इस सफ़र का छोर पाने के लिए ही तू चला है
तोड़ दे तू अड़चनों का आज घेरा
युद्ध का उद्देश्य तुझको बिन लड़े कब मिल सका है
अब विजय ही हो सके ईनाम तेरा
I was ever a fighter,
so—one fight more,
The best and the last!
I would hate that death
bandaged my eyes and forbore,
And bade me creep past.
मैं सदा था वीर योद्धा, यह लड़ाई फिर लड़ूंगा
सर्वोत्तम हो यह लड़ाई आखिरी हो
प्यार दूं इतिहास को मैं मौत से नफ़रत करूंगा
गर ढंकेगी मौत मेरी आंख को तो
No! let me taste the whole
of it, fare like my peers
The heroes of old,
Bear the brunt, in a minute
pay glad life's arrears
Of pain, darkness and cold.
पर नहीं! अब सोचता हूं चख ही लूं मैं स्वाद सारे
चख चुके जो ऐतिहासिक दोस्त मेरे
फिर खुशी की ज़िंदगी के मैं चुका दूं ख़ामियाज़े
आंसुओं के, रात के और दर्द के रे
For sudden the worst turns
the best to the brave,
The black minute's at end,
And the elements' rage, the
fiend-voices that rave,
Shall dwindle, shall blend,
हां अचानक हर बुरा बनता है अच्छा वीर मन से
खत्म होने को है काली सी घड़ी यह
तत्व भी नाराज़ हैं सब प्रेत करते हैं रुदन से
मिट रहा सब हो रहा है शून्य में लय
Shall change, shall become
first a peace out of pain,
Then a light, then thy
breast,
O thou soul of my soul! I
shall clasp thee again,
And with God be the rest!
अब उठा दो अब जगा दो शांति को भी वेदना से
रोशनी को छातियों से मुक्त कर दो
फिर परस्पर लीन हो लें आत्मा में आत्मा से
साथ हो जो शेष हो, वह ईश्वर हो!
(Translation by Tapesh Saxena)
(Translation by Tapesh Saxena)
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