मंगलवार, मार्च 28, 2017

नोट्स

कामायनी - विद्वानों की दृष्टि में - अंतिम भाग


निम्नलिखित विचार अथवा लेख के लेखक का नाम मुझे याद नहीं और जिन कागज़ों पर ये लिखे मिले हैं, उनमें भी दर्ज नहीं। लेकिन जहां तक मेरी याददाश्त काम करती, संभवतः शचीरानी गुर्टू लिखित हो सकते हैं क्योंकि तुलनात्मक अध्ययन पर एक अद्भुत शोध पुस्तक उन्होंने लिखी है। फिर भी, यह मेरा अनुमान ही है। लेकिन, ये नोट्स बहुत दिलचस्प भी हैं और काम के भी -


जयशंकर प्रसाद और जर्मनी के महान साहित्यकार गेटे में वास्तव में काफी समानता है। दोनों के ग्रंथों के अनुशीलन से यह तथ्य तार्किक प्रतीत होता हैकामायनी से पहले इन दोनों ही महान कलाकारों की शुरुआती रचनाओं पर बात करें तो ऐसा लगता है कि जैसे प्रसाद के आंसू गेटे के ग्रंथ The sorrows of werther में भी बहुत गहरा संबंध है। गेटे और प्रसाद के विचित्र जीवन में जो करुण अनुभूतियां हुईं, जो आघात लगे और जो वेदनाएं तथा निराशाएं इकट्ठी हुईं वही दोनों ने इन कृतियों के माध्यम से अभिव्यक्त कीं।

...बेशक अंतर है, लेकिन तत्वों और अनुभूति के स्तर पर दोनों के सुर मेल खाते हैं। जैसे गेटे के फॉस्ट और प्रसाद की कामायनी को लेकर तालमेल दिखता है।

...हां तो, बात करते हैं फॉस्ट और कामायनी पर। असल में प्रसाद और गेटे की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने मानव जीवन के तकरीबन हर पहलू को छुआ। और यह हुआ प्रमुख रूप से, कामायनी और फॉस्ट में। चित्रों में जैसे स्थूलता दिखायी दे और रेखाएं व बिंदु सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होते जाएं। एक अद्भुत विचार और विश्व दृष्टि जैसे अभिीाूत कर दे।

...गेटे ने फॉस्ट में रहस्य को बखूबी अभिव्यक्त किया है, खासकर वह दृश्य जिसमें नायिका मारग्रेट से फॉस्ट कहता है कि उसे ईश्वर की सत्ता हर कण, हर क्षण में दिखती है। उसके अनुभव को नकारा नहीं जा सकता। 

...कविता केवल विचारों, विचारधाराओं या दर्शन की जटिल अर्थ प्रतीतियों का ही नाम नहीं है, वह सौंदर्य को भी साधती है और मत को भी, वह भावना को भी पोसती है और अभिमत को भी। अब यदि सौंदर्य की बात करें तो फिर प्रसाद को गेटे के साथ खड़ा करना ठीक नहीं क्योंकि गेटे के रचनाकर्म में सौंदर्य प्रमुख नहीं है जबकि रोमांसिज़्म के पोषक रहे प्रसाद इससे अधिक मोहित रहे हैं। इस दृष्टि से अंग्रेज़ी साहित्य के एक महान लेखक व कवि थॉमस हार्डी से प्रसाद का तालमेल समझा जा सकता है। प्रसाद जब प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हैं तो वैचित्रृय उत्पन्न होता है -

अंतरिक्ष विशाल में है मिल रही
चंद्रमा पीयूष वर्षा कर रहा
दृष्टि पथ में सृष्टि है आलोकमय
विश्व-वैभव से धरा यह धन्य है।

हार्डी का प्रकृति चित्रण एक सूक्ष्म और अनुभवजन्य जगत से परिचय कराता है। जैसे -

The sky was clear - remarkably clear - and the twinkling of all the stars seemed to be but throbs of one body, timed by a common pulse.

यानी हार्डी का प्रकृति के प्रति आकर्षण बौद्धिकता से भी सराबोर है जबकि प्रसाद की प्रकृति के प्रति दृष्टि सम्मान व्यक्त करती हुई और चेतना का खुलासा करने वाली है।

दोस्तों, कामायनी पर विद्वानों के अभिमतों के इस सिलसिले को अभी यहीं समाप्त करते हैं। भविष्य में कभी फिर कुछ साझा करने योग्य प्राप्त करूंगा तो अवश्य करूंगा। साहित्य के किसी और विषय पर नोट्स लेकर जल्द ही हाज़िर होने के वादे के साथ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें