शुक्रवार, नवंबर 03, 2017

ग़ज़ल

"दिलशाद ही होना है सिकंदर नहीं होना"


मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर भोपाल सिथत राज्य संग्रहालय में मप्र उर्दू अकादमी की जानिब से "जश्ने-सुख़न" का आयोजन किया गया। बुज़ुर्ग, आला और उभरते हुए अदीबों से सजे स्टेज पर भवेश दिलशाद ग़ज़लसरा हुए। समारोह की सदारत डॉ. मुख़्तार शमीम साहब ने की जबकि मेहमाने ख़ुसूसी के तौर पर जनाब रईस सिद्दीकी साहब, जनाब हमीदुल्लाह मामू साहब और जनाब यूसुफ़ खान मौजूद थे। डॉ. नुसरत मेंहदी की सरपरस्ती में हुए इस समारोह में निज़ामत जनाब बद्र वास्ती साहब ने की। इस मौक़े की चन्द तस्वीरें और वीडियो यहां प्रस्तुत हैं।



Mrs Nusrat Mehdi welcomes Bhavesh Dilshaad.


Bhavesh Dilshaad recites his poetry.

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