बुधवार, नवंबर 08, 2017

नोट्स

भक्तिकालीन आंदोलनों के प्रमुख संप्रदाय एवं मत


एमए के दौरान भक्तिकालीन साहित्य विशेष रुचि का क्षेत्र रहा। उस समय तैयार किया गया यह ब्योरा अनेक स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर है। यह धार्मिक प्रवृत्तियों को तो रेखांकित करता ही है, इन संप्रदायों के हवाले से भक्तिकालीन आंदोलनों एवं परवर्ती साहित्य की अनेक धाराओं का स्पष्ट जुड़ाव निर्विवाद है इसलिए यह साहित्य के पाठकों एवं विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हो सकता है।


संप्रदाय
प्रवर्तक/कवि
विशेष
श्री
रामानुजाचार्य
विशिष्टाद्वैत
रामावत (तपसी शाखा)
रामानंद
नाम स्मरण, दशधा भक्ति, रामभक्ति
नानक पंथ
गुरु नानक देव
'जपुजी' नानक दर्शन का सार तत्व
उदासी
श्रीचंद
गुरु नानक के पुत्र
विश्नुई
जंभनाथ
देहभेद, योगाभ्यास विषय, नाथपंथ से प्रभावित, 'संभराथल' समाधि स्थल
निरंजनी
स्वामी निरंजन
प्रवर्तक जगन हरिदास निरंजनी भी मान्य, नाथपंथ-संत मत का मध्यवर्ती
लाल पंथ
लालदास
नाम जप, रामभक्ति, अलवर में ही प्रचार
दादू पंथ
संत दादूदयाल
ब्रह्म से परब्रह्म संप्रदाय और इससे दादू पंथ बना, सत्संग स्थल 'अलख दरीबा'
बाबालाली
बाबालाल
इस नाम के 4 साधक, 'बाबालाल का शैल' नामक मठ बड़ौदा में, वेदांत सूफ़ी प्रभाव
बावरी पंथ
बावरी साहिबा (प्रमुख संत)
यारी साहब इस संप्रदाय के प्रमुख संत
साध
संत वीरभान (प्रमुख कवि)
'निर्वान ग्यान' इस संप्रदाय का प्रसिद्ध ग्रंथ
ब्रह्म
श्री मध्वाचार्य
द्वैतवाद, आठ मंदिरों का निर्माण
रुद्र
श्री विष्णुस्वामी
इस नाम के 3 आचार्य, शिष्य वल्लभचार्य
सनकादि (निंबार्क)
निम्बार्काचार्य
भेदाभेद या द्वैताद्वैत
वल्लभ
वल्लभाचार्य
शुद्धाद्वैत, पुष्टिमार्ग, रुद्र संप्रदाय के अंतर्गत
राधावल्लभ
हितहरिवंश गोस्वामी
राधा अधिक महत्वपूर्ण, रसोपासना
हरिदासी (सखी टट्टी)
हरिदास
निम्बार्क संप्रदाय की शाखा माना जाता रहा
चैतन्य (गौड़ीय, गोसाईं संघ)
कृष्ण चैतन्य महाप्रभु
अचिन्त्य भेदाभेद
रैदासी
रैदास (संत रविदास)

वारकरि
तुकाराम

धारकरी
रामदास

ऋषि
शेख़ नूरुद्दीन

सत्यनामी (सतनामी)
जगजीवनदास
दादूदयाल के शिष्य, कोटवा में समाधि तथा संप्रदाय की गद्दी
चरनदासी
संत चरनदास
52 शिष्यों द्वारा 52 शाखाएं, 21 ग्रंथ
शिवनारायणी
शिवनारायण
पिंड अंतर्गत हठयोग द्वारा दिव्य ज्योति प्राप्ति
साहब पंथ
तुलसी साहब
गद्दी समाधि हाथरस में आज भी
गरीबदासी
गरीबदास

राधास्वामी
स्वामी शिवदयाल
योग, साधना, संत संबंधी उपदेश, साहित्य दृष्टि से महत्व नहीं
नाथ
मत्स्येंद्रनाथ
इनकी गोरखनाथ की गणना सिद्धों में भी
स्मार्त (स्मृति)
शंकराचार्य
पंचदेवोपासना व्यवस्था, बाद में अंधविश्वास, तीर्थ, मंदिर व्यापार केंद्र बने और पंडे-पुरोहित अमर्यादित हुए
मत
संप्रदाय
विशेष
शैव
पाशुपत, वीरशैव, लिंगायत, कश्मीरी शैव तथा नाथ-योगी उपसंप्रदाय
स्वामी रामानंद अनुयायियों ने लोकभाषा का आश्रय लिया, मूल में श्रमणण् संस्कृति की प्रेरणा जनसंपर्क का परिणाम
वैष्णव
द्वैत, द्वैताद्वैत, शुद्धाद्वैत, विशिष्टाद्वैत तथा उपसंप्रदायों में रामावत, सहजिया, वारकरी, पंचसखा, महानुभाव
दर्शन आधारित भक्ति, योग साधना का प्रभाव, उपसंप्रदायों द्वारा दर्शन पर बल नहीं
शाक्त
दो श्रेणियां - दक्षिणमार्गी, वाममार्गी
वाममार्ग पर कबीर ने अनास्था जतायी
बौद्ध
दो शाखाएं - महायान, हीनयान। महायान में मंत्रयान, वज्रयान, सहजयान, कालचक्रयान उपशाखाएं
उपशाखाएं पुराणपंथी परंपराओं के विरुद्ध चले आंदोलन की उपज। सूफ़ी साधकों सुधारवाणी का योगदान
इस्लाम
मुख्य संप्रदाय - शरा, बेशरा। अन्य संप्रदाय - चिश्ती, क़ादरी, सुहरवर्दी, नक़्शबंदी, शत्तारी
बेशरा संप्रदाय के उपसंप्रदाय - मदारी, मलंग, कलंदरी, रसूलशाही, लाल शाहबाज़िया, मूसासुहागिया। बेशरा साधक मलामती कहलाते हैं
अन्य
केरल का शास्तापूजक, बंगाल के धर्म-ठाकुर, सहजिया, बाउल, कर्ताभाता, उड़ीसा का प्रचसखा, महाराष्ट्र के वारकरी, महानुभाव
सभी भक्ति आंदोलन से संबद्ध। इनके द्वारा विपुल साहित्य सृजन

इनके अतिरिक्त कुछ अन्य संप्रदायों एवं उनके प्रवर्तकों के बारे में जानकारी इस प्रकार है -

शैव विशिष्टाद्वैत - श्रीकंठ
अविभागद्वैत - विज्ञानभिक्षु
वीरशैवविशिष्टाद्वैत - श्रीपति
पाशुपत - श्रीकंठ तथा लकुलीश
भेदाभेद - भास्कराचार्य

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